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Jamshedpur झारखंड मुलवासी अधिकार मंच ने टाटा लीज रिनूजल के पहले 18 मौजा के विस्थापित आदिवासी व मूलवासी के रैयती जमीन की सुरक्षा, जमीन वापसी, क्षतिपूर्ति व विस्थापन प्रमाण-पत्र देने को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा Jharkhand Moolvasi Adhikar Manch submitted a memorandum to the DC regarding the protection of Raiyat land of displaced tribals and natives of 18 Mauzas before Tata lease renewal, return of land, compensation and issuance of displacement certificate.

 


Jamshedpur (Nagendra) झारखंड मूलवासी अधिकार मंच ने जिला उपायुक्त कार्यालय में ज्ञापन सौंपा और कहा कि राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के मिथिलेश कुमार नीरज, झारखण्ड सरकार के उपसचिव का ज्ञापांक 07/विविध (जनावेदन)-24/2025 3334 (07)/रा० दिनांक 11.12.2025 पत्र के आलोक में आज दिनांक 30 दिसंबर को जिला उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के समक्ष रैयत खतियानवारी टाटा विस्थापित का कागजात सहित सूचि सौंपी जा रही है।


ज्ञात हो कि बिहार के तत्कालिन राज्यपाल के आदेश से एस० के० चन्द्रा, सरकार के अपर सचिव 28 सितम्बर 1967 में छोटानागपुर प्रमंडलीय स्वशासन व्यवस्था का उल्लंघन करके कृषि भूमि खुट्टकटीदार को दरकिनार करके बिहार म्यूनिसिपल सर्वे एक्ट 1920 (बिहार एवं उड़िसा अधिनियम 1920) की धारा-3 तथा बिहार नगरपालिका सर्वेक्षण / संशोधित अधिनियम 1967, छोटानागपुर टेनेन्सी एक्ट 1908 (CNT Act 1908), बंगाल अधिनियम 80, 81 तथा बिहार शहरीकार अधिनियम 1965 का शक्तियों का प्रयोग करते हुए रैयत तथा सरकारी भूमि' का सर्वे करने का अनुमति दी गयी थी, लेकिन इस कानून का उल्लंघन करते हुए कृषि युक्त भूमि बंजर भूमि रयती भूमि, जलाशय की स्रोत एवं ग्राम सभा एवं स्वशासन व्यवस्था के अन्तर्गत आने वाली गांव के लोगों के द्वारा पूजा पाठ, सामाजिक कार्यों, खेलकूद जिसकी अलग-अलग सर्वे करने की बात थी, ये नहीं करके सीधे आदिवासी एवं मूलवासी की रैयती जमीन को 1908 एवं 1937 के खतियानधारियों की ज़मीन को टाटा कम्पनी को हस्तांतरित की गई है, जो कि गैर कानूनी है। 


झारखण्ड सरकार पेसा कानून 1996 को लागू करने के लिए कैबिनेट में पारित कर चुका है। पूर्वी सिंहभूम जिला 5 वीं अनुसूचित क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र का अस्तित्व को समाप्त करते हुए 1996 के खतियान को गैर कानूनी ढंग से बनाया गया है। अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन है. कि उपरोक्त मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए गैर कानूनी तरीके से 1996 में खतियान बनाकर टाटा कम्पनी को रैयतों की जमीन को हस्तांतरित किया गया था, उसे रद्द करते हुए खतियानधारियों का 1908 एवं 1937 के खतियान के आधार पर जाँच पड़ताल करके रैयतों को पहचान कर विस्थापितों को प्रमाण पत्र देने की कृपा की जाये । इस मौके पर काफी लोग उपस्थित थे।



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