Jamshedpur (Nagendra) 30 दिसम्बर 2025 को सराक प्लेस,महूदा,धनबाद झारखंड में संस्था के स्थापना दिवस पर रनार्ट फाउंडेशन पटना के द्वारा मंगलवार की शाम को के.एम.मिश्रा द्वारा रचित नाटक काले घोड़े की नाल का मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन रणधीर कुमार ने किया। यह नाटक सामाजिक व्यंग्यात्मक और मानवीय रिश्तों पर आधारित है , जिनमें जीवन की जटिलताओं और विसंगतियों को दर्शाया गया है। ये नाटक सामाजिक, व्यंग्यात्मक और मानवीय रिश्तों पर आधारित है, जिसमें एक सीधा साधा लडका एक ढोंगी के जाल में फंस कर अपने जीवन में एक लड़की के लिये काले घोड़े के नाल का सहरा लेता है और मुसीबत में पड़ जाता है। साथ ही उसे जेल जाने की भी नौबत आ जाती है जिसका अंत में भंडा फोड़ हो जाता है।
नाटक में दिखाया गया है कि समाज के कुछ चालाक लोग “काले घोड़े की नाल” जैसे प्रतीकों के माध्यम से भोले और परेशान लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि अगर वे यह नाल अपने पास रख लें, या बताए गए शॉर्टकट उपाय अपना लें, तो उनकी सारी समस्याएँ खत्म हो जाएँगी—धन मिलेगा, बीमारी ठीक हो जाएगी, नौकरी लग जाएगी, जीवनसाथी मिल जाएगी , वगैरह वगैरह।
मुसीबतों से घिरे पात्र बिना सोचे-समझे इन उपायों को अपनाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह मेहनत से बचने का आसान रास्ता है। शुरुआत में उन्हें भ्रम होता है कि शायद हालात बदल रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगती है। जादू-टोना और शॉर्टकट के चक्कर में वे अपना समय, पैसा, आत्मसम्मान और विवेक सब कुछ खो बैठते हैं। नाटक यह भी दिखाता है कि जब मनुष्य अंधविश्वास में फँसता है, तो वह सही-गलत का फर्क भूल जाता है। जो लोग शॉर्टकट अपनाते हैं, वे न केवल ठगे जाते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं।
अंत में उन्हें यह समझ में आता है कि कोई भी चमत्कारी रास्ता स्थायी समाधान नहीं दे सकता है। इस नाटक में कलाकार के रूप में अंकिता वर्मा ,रानी कुमारी,नंदन राज,शिव सिंह, जयंत कुमार, अजय कुमार, राजू राम, आयुष राज , सिन्हा, रणवीर कुमार,सन्नी साहित्य,आशीष रंजन,रौशन कुमार,चंदू कुमारी,फेकनी देवी,करमू पासवान,राकेश कुमार,सिद्धार्थ कुमार ने बेहतर मंचन किया , जिसका दर्शक गण खूब सराहना की।



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