- जिले में 348 बाल विवाह होने से पूर्व रुकवाए, 36 बच्चों को ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल से कराया मुक्त
Jamshedpur (Nagendra) बाल सुरक्षा व संरक्षण की दिशा में पूर्वी सिंहभूम के लिए 2025 एक बेहतरीन साल रहा जहां जिला प्रशासन, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सामुदायिक नेताओं के साथ करीबी समन्वय से काम करते हुए नागरिक समाज संगठन आदर्श सेवा संस्थान ने 384 बच्चों को बाल विवाह व ट्रैफिकिंग से बचाया। इनमें से 348 को बाल विवाह से बचाया गया जबकि 36 बच्चों को ट्रैफिकिंग यानी बाल दुर्व्यापार से मुक्त कराया गया। ट्रैफिकिंग से मुक्त कराए गए बच्चों में 19 लड़कियां थीं और 17 लड़के थे। आदर्श सेवा संस्थान देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है।
जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन बाल अधिकारों की सुरक्षा व बच्चों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए देश के 451 जिलों में काम कर रहे हैं। बचाव, सुरक्षा व अभियोजन की रणनीति पर अमल करते हुए इस नेटवर्क ने 1 जनवरी 2025 से अब तक देश भर में 1,98,628 बाल विवाह रोके हैं। इसके अलावा, इसी दौरान देश भर से कुल 55,146 बच्चों को ट्रैफिकिंग से मुक्त कराया गया जिनमें 40,830 लड़के व 14,316 लड़कियां थीं। इसके अलावा बच्चों की ट्रैफिकिंग के 42,217 मामले दर्ज कराए गए। इन समन्वित कार्रवाइयों के नतीजे व असर के बाबत आदर्श सेवा संस्थान के सचिव - प्रभा जयसवाल ने कहा, “बाल सुरक्षा की दिशा में यह एक ऐतिहासिक साल रहा। जिला प्रशासन, पुलिस, ग्राम पंचायतों और शिक्षकों के साथ मिलकर हमने जमीन पर जो किया है, उससे आए बदलाव और नतीजे देखे जा सकते हैं।
बच्चे समाज के सबसे संवेदनशील अंग हैं और हमें ये याद रखना चाहिए कि ट्रैफिकिंग के पीड़ित बच्चों को मुक्त कराना सिर्फ पहला कदम है। अगर हमें गरीबी, बाल मजदूरी और बाल विवाह के दुष्चक्र को तोड़ना है तो इसके लिए पुनर्वास, बच्चों का वापस स्कूलों में दाखिला और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर आर्थिक दृष्टि से संवेदनशील परिवारों की सहायता आवश्यक है।”देश भर में फैले जेआरसी के सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर आदर्श सेवा संस्थान 2030 तक भारत से बाल विवाह के खात्मे, बाल मजदूरी, बाल विवाह या बाल वेश्यावृत्ति के इरादे से दूसरे जिलों व राज्यों में ले जाए गए बच्चों की पहचान व उन्हें मुक्त कराने के लिए जमीन पर काम कर रहा है। यह नेटवर्क रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) सहित सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ करीबी समन्वय से काम करता है और नेटवर्क का विस्तार व इसकी पहुंच बच्चों को मुक्त कराने के लिए समय रहते हस्तक्षेप को आसान बनाती है।
अगर सभी धर्मों का पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराना बंद कर दे तो यह कुप्रथा अपने आप बंद हो जाएगी। इसलिए सभी धर्मों के तीन लाख से ज्यादा धार्मिक नेताओं को इस अभियान से जोड़ा गया है जो लोगों तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि बाल विवाह गैरकानूनी है और कोई भी धर्म इसकी मंजूरी नहीं देता। जिले में तमाम धार्मिक स्थलों ने बोर्ड लगाए हैं कि इस धार्मिक परिसर में बाल विवाह की स्वीकृति नहीं है। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के तहत केंद्र सरकार के 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान में जिला प्रशासन के साथ समन्वय के साथ आदर्श सेवा संस्थान विवाह समारोहों में सेवाएं देने वालों और इसकी रोकथाम में अहम कड़ी जैसे टेंट वालों, बैंड वालों, दर्जियों, सजावट करने वालों व कैटरर्स के साथ बैठकें कर उन्हें जागरूक कर रहे हैं कि बाल विवाह में किसी भी प्रकार का सहयोग कानूनन अपराध है।

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