इस बाबत दोनों बच्चियों के पिता को कोई जानकारी नहीं दी गई। दोनों बच्चियों को गायब कर दुबिल गांव में छुपा कर रखा गया। वहां से ट्रेन से दिल्ली ले जाकर बेच दिया गया। इस दौरान दोनों बच्चियों के परिजनों ने काफी खोजबीन की, लेकिन कहीं पता नहीं चला। इसके बाद उनलोगों ने खोजबीन बंद कर दी। पुलिस को भी इसकी सूचना नहीं दी। मृतका के भाई सह दुईया गांव के मुंडा जानुम सिंह चेरवा, एक अन्य लापता लड़की के पिता बामिया लागुरी ने बताया कि लगभग 15 दिन पूर्व मानव तस्कर मंदरू चाम्पिया ने बेटी सोमबारी को गंभीर रूप से बीमार स्थिति में दिल्ली से मनोहरपुर स्टेशन पर छोड़ कर भाग गया। वहां से सोमबारी किसी तरह दुइया स्थित अपने भाई मुंडा के घर पहुंची। उसकी स्थिति बहुत खराब थी।
उसे मनोहरपुर अस्पताल में इलाज हेतु ले जाया गया। वहां चिकित्सकों ने टीबी से ग्रसित होने और स्थिति गंभीर होने के कारण जवाब दे दिया। मौत से पूर्व सोमबारी ने अपने भाई मुंडा और पूर्व मुखिया को बताया कि दिल्ली में उसे कुछ लोग पकड़ कर नाभी व पीठ में ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन किस उद्देश्य से किया गया था इसका उसे पता नहीं है। मृतका के भाई ने संदेह जताया कि कहीं उसकी किडनी तो नहीं निकाल ली गई। मौत की दहलीज पर देख कर मानव तस्कर उसे मनोहरपुर स्टेशन पर छोड़ कर भाग गया।
दूसरी ओर बामिया लागुरी की लापता बेटी को लेकर भी उसे संशय है। इस दौरान गंगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल, पूर्व मुखिया दुःशासन चेरवा आदि भी मौजूद थे। मुखिया राजू सांडिल ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। इसकी उच्च स्तरीय जांच सरकार व जिला प्रशासन कराये कि नाभी व पीठ पर ऑपरेशन क्यों किया गया। मानव तस्करों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हो। मानव तस्कर मंदरू चाम्पिया दिल्ली में बैठ अपने गांव के भाईयों व रिश्तेदारों के सहयोग से निरंतर मानव तस्करी का कार्य कर रहा है। मृतका व उसके परिवार को न्याय मिलना चाहिए।
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