जब देश का अभिमान कविता बन ढलेगा .तब कह सकेंगे गर्व से हिंदी हैं हम, महिला कवयित्रियों ने बहाई काव्य गंगा
जमशेदपुर। नगर के वरिष्ठ रचनाकारों के साहित्यिक समूह फुरसत ने हिंदी दिवस पर काव्योत्सव मनाया। जिसका विषय था, हिन्दी हैं हम। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्रा ने किया। प्रथम प्रविष्टि के रूप में अपनी रचना से कार्यक्रम प्रारंभ करते हुए उन्होंने पढा।
*जब देश का अभिमान कविता बन ढलेगा, तब कह सकेंगे गर्व से हिंदी हैं हम.
दूसरी रचना अध्यक्ष श्रीमती आनंद बाला शर्मा जी की थी, संभव है हिदी में ज्ञान की यात्रा।
विश्वव्यापी है अब हमारी हिंदी/हिंदी हैं हम, कार्यक्रम की अगली कडी के रुप में वरिष्ठ भावप्रवण कवयित्री रेणुबाला मिश्रा ने अपनी रचना पढी।
प्रयासहमारा यही है हरदम, जोर से कहें हिंदी हैं हम, जोश से कहें हिंदी हैं हम।
समूह की लोकप्रिय गायिका वीणा पाण्डेय भारती...की प्रस्तुति थी : अपनी भाषा पर अभिमान है, मान और सबका सम्मान है।
जनजन के हृदय से निकली .सेवा और कल्याण है, वहीं इंदिरा पाण्डेय की रचना ने मंत्रमुग्ध कर दिया : हिदी संस्कृति और विरासत का अनमोल कवच है, भारत मां के मस्तक पर शोभित चंदन तिलक है।
अहमदाबाद गुजरात से जुडी कवयित्री डा उमा सिंह -*निज भाषा में प्रेम है : निज भाषा पहचान, हिंदी भाषा ने बनाई .है वैश्विक पहचान।
डा मीनाक्षी कर्ण की प्रस्तुति प्रभावशाली लगी :विश्व पटल पर अपना परचम लहराती, जन जन की दुलारी हिंदी।
पुणे से श्रीमती किरण सिन्हा की रचना की प्रस्तुति : गौतम का ज्ञान है हिंदी, बुद्ध की परित्याग है।
हिंदी रामायण की राम है हिंदी, अगली प्रस्तुति के रुप में वरेण्य अध्यक्ष डा सरित किशोरी श्रीवास्तव की रचना थी : आम जन की भाषा है, हम सबकी पहचान है, माता की बोली है, उसके संस्कारो का मान है।
युवा प्रतिभाशाली सुस्मिता सलिलात्मजा ने अपनी रचना पढी : निसंदेह हिंदी से ही है भारत की पहचान, पर कितने लोग रख पाते, इस मीठी भाषा की शान./हिंदी हैं हम।
संप्रति वृंदावन उत्तर प्रदेश से जुडी समूह की वरिष्ठ कवयित्री सुधा अग्रवाल की प्रस्तुति भी शानदार रही : तुम प्राण देश की हो हिंदी।
क्रांति.शांति का योग तुम्हीं हो, समूह की लोकप्रिय कवयित्री आरती श्रीवास्तव ने अपनी रचना पढते हुए सभी को प्रभावित किया : लिखें हिंदी. पढें हिंदी, सभी हिदी दीवाने हैं।
उठो हे देशवासी अब.चलो हिदी बढानी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आनंद बाला शर्मा थीं। विशिष्ट अतिथि डा सरित किशोरी श्रीवास्तव थी। अंत में धन्यवाद आभार श्रीमती इंदिरा पाण्डेय ने किया।
No comments:
Post a Comment